मेरा
नाम कुमारी
बबली है। मैं
पटना, बिहार
के एक छोटे से
गाँव
गोरेगावां की
रहने वाली
हूँ। मैं तीन
कलाओं की
विद्या की
कलाकार भी हूँ
जैसे - एप्लिक, मिथिला
पेंटिंग, और
सुजनी। मैंने
अपनी कला
सीखने की
शुरुआत अंबपाली
संस्था से की
है जिसकी
अध्यक्ष
श्रीमती अर्चना
सिंह मैम हैं।
जब
मैं पढ़ाई कर
रही थी, तब पड़ोस
के गाँव में
मुफ्त में
एप्लिक और सुजनी
कला का
प्रशिक्षण
दिया जा रहा
था। जब यह बात
मुझे पता चली, तो
मैं अपनी
सहेलियों के
साथ उस गाँव
में प्रशिक्षण
के लिए गई।
वहाँ पर मुझे
भी एप्लिक और
उसके बाद
सुजनी दोनों
कलाओं को
सीखने का अवसर
प्राप्त हुआ।
वहीं पर मैं अंबपाली
की अध्यक्ष
श्रीमती
अर्चना सिंह
मैम से मिली, जिन्होंने
मुझे अपने
कार्यालय
बुलाया।
इन
सभी कलाओं के
काम के लिए
मैं वहाँ गई
और वहाँ से
मैम के द्वारा
मुझे कच्चा
माल दिया जाता
था जिसमें मैं
विभिन्न
वस्त्र और
सजावट की वस्तुएं
बनाती थी। इन
वस्तुओं के
पैसे हमें संस्था
द्वारा
प्राप्त होते
थे। हम लोग
एप्लिक में
चादर, कुशन
कवर, सूट, पर्दे
आदि बनाते थे।
इस प्रकार, अंबपाली संस्था ने मुझे न केवल कला का प्रशिक्षण दिया बल्कि मेरे जीवन को एक नया मार्ग भी दिखाया। अपने गाँव तथा आस-पास के इलाकों में इन कलाओं को सिखाने और प्रोत्साहित करने का काम भी कर रही हूँ। मुझे अपनी कला पर गर्व है और मैं चाहती हूँ कि यह परंपरागत कला और अधिक लोगों तक पहुंचे और उन्हें भी रोजगार का साधन मिल सके। अंबपाली संस्था ने मुझे यह मंच प्रदान किया और आज मैं यहाँ हूँ, इसका श्रेय मैं उन्हें देती हूँ।