शांति
देवी की कहानी
पटना
सिटी के
मिर्चैया
टोली में रहने
वाली शांति
देवी, जो
श्याम चौधरी
की पत्नी हैं, एक
साधारण महिला
हैं। वे एससी
(अनुसूचित
जाति) श्रेणी
से आती हैं और
उनके जीवन की
कहानी संघर्ष
और सफलता की
मिसाल है। आज
से 14 साल पहले, शांति
देवी को
एप्लिक
कारीगरी (Applique
Craft) के
बारे में कुछ
भी जानकारी
नहीं थी।
लेकिन आज, अपने
हुनर और मेहनत
के बल पर, उन्होंने
न केवल इस कला
को सीखा बल्कि
अपना खुद का
दुकान भी खोल
लिया है।
शांति
देवी का जीवन
साधारण
ग्रामीण
महिलाओं की
तरह ही शुरू
हुआ। शादी के
बाद, उन्होंने
अपने परिवार
की देखभाल में
खुद को समर्पित
कर दिया। उनके
पति श्याम
चौधरी एक मेहनती
मजदूर थे और
परिवार की
जरूरतों को
पूरा करने के
लिए कड़ी
मेहनत करते
थे। आर्थिक
स्थिति अच्छी
नहीं थी, इसलिए
शांति देवी भी
कुछ काम करना
चाहती थीं ताकि
वे परिवार की
मदद कर सकें।
एक दिन, उनके
गांव में एक
स्वयंसेवी
संस्था आई जो
महिलाओं को
स्वावलंबी
बनाने के लिए
विभिन्न तरह की
प्रशिक्षण
कार्यशालाएं
आयोजित कर रही
थी। शांति
देवी ने इन
कार्यशालाओं
में भाग लेने का
निर्णय लिया।
वहां
उन्होंने
एप्लिक कारीगरी
के बारे में
सीखा और
धीरे-धीरे इस
कला में निपुण
हो गईं।
प्रारंभ
में, उन्होंने
अपने घर पर ही
छोटी-मोटी
चीजें बनानी
शुरू कीं।
उनकी मेहनत
रंग लाई और
उनके द्वारा
बनाई गई चीजें
बाजार में
बिकने लगीं।
उनके काम की
गुणवत्ता और
सुंदरता की
वजह से मांग
बढ़ने लगी।
उन्होंने
अपनी इस सफलता
को देखते हुए अपने
गांव की अन्य
महिलाओं को भी
इस काम में शामिल
किया और
उन्हें
प्रशिक्षण
दिया।
शांति
देवी ने अपने
सपनों को
साकार करने के
लिए कड़ी
मेहनत की और
अंततः
उन्होंने
अपना खुद का
एक छोटा दुकान
खोलने का
निर्णय लिया।
उनके पति और
बच्चों ने भी
उनका साथ दिया
और उनके इस नए
उद्यम में मदद
की। उनके
दुकान में अब
विभिन्न
प्रकार के
एप्लिक
कारीगरी के
उत्पाद जैसे चादरें, कुशन
कवर, और
दीवार सजाने
वाली
कलाकृतियाँ
बिकने लगीं।
आज, शांति
देवी अपने
दुकान की
मालिक हैं और
उनकी मेहनत और
कला की बदौलत
उन्होंने
अपने परिवार की
आर्थिक
स्थिति को
सुधार लिया
है। उनके इस
सफर ने न केवल
उन्हें
आत्मनिर्भर
बनाया बल्कि उनके
गांव की अन्य
महिलाओं के
लिए भी
प्रेरणा का
स्रोत बना। अब
वे औरतें भी
आत्मनिर्भर
बनने के लिए
आगे आ रही हैं
और शांति देवी
से सीखकर अपने
जीवन को बेहतर
बना रही हैं।
शांति
देवी की कहानी
इस बात का
जीता जागता
उदाहरण है कि
अगर मन में
ठान लिया जाए
और मेहनत की जाए, तो
कोई भी बाधा
सफलता की राह
में आड़े नहीं
आ सकती। उनकी
संघर्ष और
सफलता की
कहानी आज पूरे
पटना सिटी में
एक मिसाल बन
गई है।